सीरिया की धार्मिक विविधता: हैरान कर देंगे ये अनसुने पहलू!

webmaster

시리아의 종교적 다양성 - **Prompt:** "An atmospheric historical scene depicting a vibrant street in ancient Damascus, Syria, ...

दोस्तों, क्या आप जानते हैं कि सीरिया सिर्फ़ ख़बरों में दिखने वाला एक अशांत देश नहीं, बल्कि सदियों से धार्मिक विविधता का एक जीता-जागता संग्रहालय रहा है?

시리아의 종교적 다양성 관련 이미지 1

यहाँ इस्लाम की कई शाखाओं से लेकर प्राचीन ईसाई समुदायों और द्रुज़ जैसे अनोखे पंथों तक, आस्था के कई रंग एक साथ घुलते-मिलते हैं। मैंने जब इसकी तह तक जाने की कोशिश की, तो पाया कि यह सिर्फ़ आंकड़ों का खेल नहीं, बल्कि हर समुदाय की अपनी एक गहरी कहानी है। कभी ईसाई धर्म का गढ़ रहा यह देश, आज भी अपनी ऐतिहासिक पहचान को सँजोए हुए है, जहाँ हर कोने में एक अनूठी धार्मिक बुनावट देखने को मिलती है। तो चलिए, सीरिया की इस अद्भुत धार्मिक यात्रा पर चलते हैं और इसकी गहराई को विस्तार से समझते हैं।

सीरिया: आस्था का प्राचीन संगम – एक ऐतिहासिक झलक

ईसाई धर्म का स्वर्णिम युग

दोस्तों, अगर आप सीरिया के इतिहास में झांकेंगे तो पाएंगे कि यह ज़मीन सिर्फ़ रेत और पत्थरों से नहीं बनी, बल्कि इसमें सदियों की आस्था की परतें जमी हैं। मुझे याद है, जब मैंने पहली बार सीरिया के बारे में पढ़ा था, तो मुझे लगा था कि यह सिर्फ इस्लामिक देश है, पर जैसे-जैसे मैंने इसकी गहराई में उतरना शुरू किया, मैं दंग रह गया। क्या आप जानते हैं, एक दौर था जब सीरिया ईसाइयों का गढ़ हुआ करता था!

सोचिए, दमिश्क, जो आज एक मुस्लिम बहुल राजधानी है, कभी ईसाई धर्म के शुरुआती केंद्रों में से एक था। मुझे लगता है, उस समय गलियों में प्रार्थनाओं की गूंज कुछ और ही रही होगी। चौथी सदी में तो यह इतना महत्वपूर्ण था कि इसे “ईसाई धर्म का पालना” भी कहा जाता था। यह वह दौर था जब ईसाई धर्म पूरे मध्य पूर्व में फल-फूल रहा था और सीरिया इसका एक चमकता हुआ सितारा था। मेरा मन करता है कि काश मैं उस दौर में जाकर देख पाता कि कैसे विभिन्न परंपराओं के ईसाई एक साथ रहते होंगे और अपनी आस्था का पालन करते होंगे।

इस्लाम का आगमन और उसका प्रभाव

फिर आया वो समय जब इतिहास ने एक नया मोड़ लिया। 634 ईस्वी में, इस्लाम ने सीरिया में कदम रखा। यह सिर्फ एक सैन्य विजय नहीं थी, बल्कि एक सांस्कृतिक और धार्मिक क्रांति की शुरुआत थी। खलीफा हज़रत अबू बकर और हज़रत खालिद बिन वालिद के नेतृत्व में अरब मुसलमानों ने इस क्षेत्र पर विजय प्राप्त की और दमिश्क को उमय्यद खलीफाओं ने अपनी राजधानी बनाया। कल्पना कीजिए, यह कितना बड़ा बदलाव रहा होगा!

सड़कें, बाज़ार, लोगों की ज़बानें और उनकी आस्थाएं – सब कुछ धीरे-धीरे बदलने लगा। मेरा मानना है कि ऐसे बड़े बदलाव हमेशा जटिल होते हैं, उनमें चुनौतियां भी आती हैं और नए अवसर भी पैदा होते हैं। इस्लाम के आगमन के बाद सीरिया एक प्रमुख इस्लामिक केंद्र के रूप में उभरा, और यहीं से इसने मध्य पूर्व के इतिहास को एक नई दिशा दी। कई मस्जिदें, जैसे कि उमय्यद मस्जिद, इसी दौर में बनीं जो आज भी इसकी गौरवशाली विरासत की गवाह हैं।

इस्लाम के रंग: सुन्नी, शिया और अलावी समुदाय की गहरी पहचान

Advertisement

सुन्नी समुदाय: सीरिया का दिल

अगर आप सीरिया के धार्मिक नक्शे को देखेंगे, तो सबसे बड़ा और सबसे जीवंत रंग सुन्नी इस्लाम का है। मेरे लिए, सीरियाई समाज को समझना सुन्नी समुदाय को समझने जैसा है। सीरियाई अरब, कुर्द, तुर्कमेन और सर्कसियन जैसे विभिन्न जातीय समूहों में सुन्नी मुसलमान बहुसंख्यक हैं। उनकी जीवनशैली, परंपराएं और त्योहार सीरिया की संस्कृति का एक अभिन्न अंग हैं। मुझे लगता है, सुन्नी इस्लाम यहां की आत्मा है, जो हर कोने में दिखाई देता है। वे लगभग सभी व्यवसायों में सक्रिय हैं, हर सामाजिक समूह और राजनीतिक दल का हिस्सा हैं। मुझे व्यक्तिगत रूप से यह विविधता बहुत पसंद है, क्योंकि यह दिखाता है कि कैसे एक धर्म के भीतर भी इतनी अलग-अलग संस्कृतियाँ पनप सकती हैं।

शिया और अलावी: आस्था की अलग राहें

सुन्नियों के अलावा, सीरिया में शिया मुसलमानों की भी एक महत्वपूर्ण आबादी है, जिसमें अलावी और इस्माइली जैसे समूह शामिल हैं। अलावी समुदाय, विशेष रूप से, सीरिया के धार्मिक और राजनीतिक परिदृश्य में एक अनोखी जगह रखता है। वे खुद को शिया इस्लाम का हिस्सा मानते हैं, लेकिन उनकी मान्यताएं और प्रथाएं बाकी इस्लामिक समुदायों से थोड़ी अलग हैं। मुझे याद है, एक बार मैंने एक डॉक्यूमेंट्री देखी थी जिसमें अलावी लोगों के रहस्यों और उनकी परंपराओं के बारे में बताया गया था, और यह मुझे बहुत दिलचस्प लगा था। वे पुनर्जन्म में विश्वास रखते हैं और उनके कई अनुष्ठान गोपनीय होते हैं। असद परिवार, जो दशकों तक सीरिया पर शासन करता रहा, इसी अलावी समुदाय से आता है। मेरे हिसाब से, यह दिखाता है कि कैसे धार्मिक पहचान किसी देश की राजनीति और सत्ता को भी प्रभावित कर सकती है।

ईसाई धर्म: अतीत का गौरव और वर्तमान की चुनौतियाँ

विविध ईसाई संप्रदायों का मेल

सीरिया में ईसाई धर्म सिर्फ एक पहचान नहीं, बल्कि विभिन्न संप्रदायों का एक समृद्ध गुलदस्ता है। मुझे यह जानकर हमेशा खुशी होती है कि एक ही देश में ग्रीक ऑर्थोडॉक्स, सिरिएक ऑर्थोडॉक्स, अर्मेनियाई अपोस्टोलिक चर्च, और कई पूर्वी कैथोलिक चर्चों के अनुयायी सदियों से साथ रह रहे हैं। यह विविधता मुझे आकर्षित करती है। दमिश्क, अलेप्पो, होम्स जैसे बड़े शहरों में ईसाई समुदाय की मौजूदगी साफ दिखती है। मुझे लगता है, यह उनके ऐतिहासिक महत्व और इस क्षेत्र में उनकी गहरी जड़ों का प्रमाण है। सोचिए, एक समय था जब दमिश्क में किसी भी अन्य जगह से ज्यादा ईसाई थे। यह दिखाता है कि कैसे सीरियाई मिट्टी ने आस्था के कई बीज बोए और उन्हें सींचा।

संघर्ष के बाद सिकुड़ता समुदाय

लेकिन दोस्तों, सच कहूं तो मौजूदा हालात ने सीरिया के ईसाई समुदाय को बहुत प्रभावित किया है। गृहयुद्ध ने न केवल जीवन को अस्त-व्यस्त किया है, बल्कि इसने धार्मिक जनसांख्यिकी को भी बदल दिया है। मुझे यह जानकर बहुत दुख होता है कि 2010 से पहले जहां ईसाई आबादी लगभग 11.8% थी, वहीं अब यह घटकर लगभग 1.4-2% रह गई है। अलेप्पो जैसे शहरों में, जहां कभी ईसाइयों की अच्छी खासी आबादी थी, अब उनकी संख्या नगण्य रह गई है। यह केवल संख्या नहीं है, बल्कि सदियों पुरानी विरासत का खो जाना है। मुझे लगता है, यह हम सबके लिए एक चेतावनी है कि संघर्ष कैसे न केवल इमारतों को, बल्कि आस्था और समुदाय को भी तबाह कर देता है। उनके चर्चों को नुकसान पहुंचाया गया और कई लोग अपने घरों और देश को छोड़कर जाने को मजबूर हुए।

द्रुज: एक अनोखा पंथ जिसकी जड़ें इस्लाम में हैं पर पहचान अलग

Advertisement

अकेश्वरवादी विश्वास और पुनर्जन्म

सीरिया के धार्मिक मोज़ेक में द्रुज समुदाय की अपनी एक अनूठी चमक है। मैं जब पहली बार द्रुज के बारे में पढ़ा, तो मुझे लगा कि यह कितना दिलचस्प है कि एक समुदाय जो इस्लाम से निकला है, उसकी अपनी इतनी अलग मान्यताएं हैं। वे खुद को “मुवाहिदुन” या एकेश्वरवादी कहते हैं और एक ईश्वर में विश्वास रखते हैं। लेकिन, उनकी सबसे खास बात यह है कि वे पुनर्जन्म में यकीन करते हैं, जो इस्लाम की मुख्यधारा से काफी अलग है। यह विचार मुझे हमेशा सोचने पर मजबूर करता है कि कैसे एक ही धार्मिक पेड़ से इतनी अलग-अलग शाखाएं निकल सकती हैं। मुझे लगता है, यह धार्मिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत व्याख्या का एक बेहतरीन उदाहरण है। वे पारंपरिक इस्लामी प्रथाओं जैसे नमाज़, रोज़ा या हज का पालन उस तरह से नहीं करते जैसे बाकी मुस्लिम करते हैं, और इसी वजह से कई सुन्नी उन्हें गैर-मुस्लिम मानते हैं।

सामाजिक एकजुटता और स्वैदा में उपस्थिति

द्रुज समुदाय अपनी मजबूत सामाजिक एकजुटता और गोपनीयता के लिए जाना जाता है। मैंने यह देखा है कि कैसे वे अपने समुदाय के भीतर एक मजबूत बंधन बनाए रखते हैं। सीरिया में, द्रुज मुख्य रूप से स्वैदा प्रांत में केंद्रित हैं, जहां उनकी एक बड़ी आबादी है। मुझे लगता है, इस तरह की क्षेत्रीय एकाग्रता उन्हें अपनी पहचान और परंपराओं को बनाए रखने में मदद करती है। हाल के समय में, दक्षिणी सीरिया में द्रुज समुदाय को भी संघर्ष और हिंसा का सामना करना पड़ा है। इजरायल ने भी कई बार द्रुज समुदाय की रक्षा के लिए अपनी चिंता व्यक्त की है। यह दिखाता है कि कैसे इस क्षेत्र में धार्मिक अल्पसंख्यक हमेशा से ही नाजुक स्थिति में रहे हैं।

यहूदी और अन्य छोटे समुदायों की कहानी

एक समय का समृद्ध यहूदी समुदाय

सीरिया की धार्मिक कहानी सिर्फ इस्लाम और ईसाई धर्म तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें यहूदी धर्म की भी एक प्राचीन और मार्मिक गाथा शामिल है। मुझे यह जानकर बहुत हैरानी हुई थी कि कभी सीरिया में यहूदियों की एक अच्छी खासी आबादी थी, खासकर दमिश्क में। उनकी जड़ें बाइबिल के समय से जुड़ी हुई हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि सीरिया सचमुच आस्थाओं का एक ऐतिहासिक केंद्र रहा है। मुझे लगता है, इन प्राचीन समुदायों की कहानियों को जानना हमें इस क्षेत्र की समृद्ध विरासत को समझने में मदद करता है। वे सदियों से यहां रह रहे थे, अपनी संस्कृति और परंपराओं को बनाए हुए थे।

आज का सिकुड़ता अस्तित्व

दुर्भाग्य से, समय के साथ सीरिया में यहूदी समुदाय की संख्या बहुत कम हो गई है। 1992 में बड़े पैमाने पर प्रवासन के बाद, आज सीरिया में 200 से भी कम यहूदी रहते हैं, और वे भी ज्यादातर राजधानी में हैं। यह एक दुखद सच्चाई है कि कैसे संघर्ष और अस्थिरता ने सदियों पुराने समुदायों को विस्थापित कर दिया है। मुझे लगता है, यह सिर्फ एक समुदाय का पलायन नहीं है, बल्कि एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक अध्याय का अंत है। सीरियाई यहूदी अरबी भाषी थे और अपने आसपास के अरबों से शायद ही अलग दिखते थे। यह दर्शाता है कि कैसे विभिन्न धार्मिक समूह सामंजस्यपूर्ण तरीके से सह-अस्तित्व में रह सकते हैं, जब तक कि बाहरी ताकतें उन्हें बाधित न करें।

सीरिया में धार्मिक सद्भाव और संघर्ष की बदलती तस्वीर

Advertisement

सह-अस्तित्व का जटिल इतिहास

सीरिया का इतिहास धार्मिक सद्भाव और संघर्ष दोनों का एक जटिल मिश्रण रहा है। मुझे हमेशा लगता है कि कोई भी देश पूरी तरह से एकरंगी नहीं होता, हर जगह विविधता और उसके साथ आने वाली चुनौतियां होती हैं। सीरिया में भी विभिन्न धार्मिक समुदायों ने सदियों तक एक साथ जीवन जिया है, व्यापार किया है, परिवार बनाए हैं और एक-दूसरे की संस्कृतियों को प्रभावित किया है। मुझे लगता है, यह सह-अस्तित्व ही किसी समाज की असली ताकत होती है। लेकिन, सिक्के का दूसरा पहलू यह भी है कि इस क्षेत्र में हमेशा से ही धार्मिक तनाव और राजनीतिक अस्थिरता का खतरा मंडराता रहा है।

गृहयुद्ध का भयावह प्रभाव

हाल के वर्षों में, सीरियाई गृहयुद्ध ने धार्मिक सद्भाव की इस नाजुक डोर को बुरी तरह से तोड़ा है। मुझे याद है, जब मैंने युद्ध की खबरें देखी थीं, तो मेरा दिल दहल गया था। अलगाववादी समूहों और चरमपंथियों ने धार्मिक आधार पर हिंसा को बढ़ावा दिया, जिससे समुदायों के बीच अविश्वास और शत्रुता बढ़ी। अलावी और सुन्नी मुसलमानों के बीच की खाई गहरी हुई, और ईसाई जैसे अल्पसंख्यक समुदाय सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। यह मेरे लिए एक दुखद अहसास है कि कैसे राजनीतिक उद्देश्यों के लिए धर्म का गलत इस्तेमाल करके एक शांतिपूर्ण समाज को तबाह किया जा सकता है। चर्चों को निशाना बनाया गया, और हजारों लोग धार्मिक उत्पीड़न के कारण अपने घरों से बेघर हुए।

आस्था और पहचान का सांस्कृतिक ताना-बाना

त्योहारों और रीति-रिवाजों का रंग

सीरिया की संस्कृति में धर्म का प्रभाव हर जगह दिखता है, त्योहारों से लेकर रोजमर्रा के रीति-रिवाजों तक। मुझे व्यक्तिगत रूप से अलग-अलग संस्कृतियों के त्योहारों को देखना बहुत पसंद है। चाहे वह मुसलमानों का ईद हो या ईसाइयों का क्रिसमस और ईस्टर, ये सभी त्योहार सीरियाई समाज में रंग भरते हैं। मुझे लगता है, यही वह जगह है जहां आस्था और जीवनशैली एक दूसरे से गले मिलते हैं। हर समुदाय की अपनी अनोखी परंपराएं और प्रथाएं हैं जो उनके धार्मिक विश्वासों को दर्शाती हैं। लोक नृत्य जैसे दबकेह, और पारंपरिक कलाएं, अक्सर धार्मिक कथाओं और भावनाओं से प्रेरित होती हैं।

भोजन, भाषा और स्थापत्य कला पर प्रभाव

시리아의 종교적 다양성 관련 이미지 2
आप देखेंगे कि सीरिया का भोजन, उसकी भाषा और यहां तक कि उसकी स्थापत्य कला भी धार्मिक विविधता से अछूती नहीं है। मुझे लगता है, यह कितना अद्भुत है कि आप एक मस्जिद और एक चर्च को कुछ ही दूरी पर देख सकते हैं, दोनों अपनी-अपनी कहानी कहते हैं। अरबी मुख्य भाषा है, लेकिन कुर्दिश, अर्मेनियाई और अरामाइक जैसी भाषाएं भी अल्पसंख्यक समुदायों द्वारा बोली जाती हैं, जो उनके धार्मिक और जातीय पहचान से जुड़ी हैं। मुझे यह देखकर हमेशा अच्छा लगता है कि कैसे भाषाएं और खान-पान भी लोगों की धार्मिक पहचान को बनाए रखने में मदद करते हैं। दमिश्क की पुरानी गलियां, अलेप्पो के बाजार और प्राचीन चर्चों और मस्जिदों की भव्यता इस बात का प्रमाण है कि कैसे विभिन्न आस्थाओं ने सीरिया की सांस्कृतिक विरासत को सदियों से समृद्ध किया है।

सीरिया की धार्मिक जनसांख्यिकी: एक बदलता परिदृश्य

संख्याओं में विविधता की झलक

दोस्तों, अगर हम सीरिया की धार्मिक आबादी पर एक नज़र डालें, तो यह सिर्फ आंकड़े नहीं हैं, बल्कि ये कहानियां हैं, जीवन हैं, और एक देश के बदलते हालात का आइना हैं। मुझे लगता है, संख्याओं से भी हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। नीचे दी गई तालिका दिखाती है कि कैसे सीरिया में धर्मों का वितरण रहा है, खासकर युद्ध से पहले और उसके बाद। यह हमें एक अंदाज़ा देता है कि कैसे चीजें बदली हैं।

धर्म/समुदाय युद्ध-पूर्व अनुमानित आबादी का प्रतिशत (लगभग) वर्तमान अनुमानित आबादी का प्रतिशत (लगभग)
सुन्नी मुस्लिम 74% – 76.9% ~74% (बदलाव के बाद भी मुख्य बहुमत)
अलावी (शिया शाखा) 12% – 13% ~12% (असद परिवार के समर्थन के कारण महत्वपूर्ण)
अन्य शिया मुस्लिम (इस्माइली आदि) 1% – 3% ~1% – 3%
ईसाई (विभिन्न संप्रदाय) 10% – 11.8% 1.4% – 2% (गृहयुद्ध के कारण भारी गिरावट)
द्रुज 3% ~3% (मुख्यतः स्वैदा प्रांत में)
यहूदी और अन्य <1% बहुत कम (<0.1%)
Advertisement

युद्ध और विस्थापन का प्रभाव

यह तालिका मेरे लिए एक दुखद सच्चाई को दर्शाती है कि कैसे युद्ध ने सिर्फ इमारतों को ही नहीं, बल्कि लोगों की जड़ों को भी हिला दिया है। ईसाई समुदाय की संख्या में इतनी बड़ी गिरावट देखकर मेरा मन भर आता है। हजारों लोगों ने बेहतर जीवन या सुरक्षा की तलाश में देश छोड़ दिया है। मुझे लगता है, यह सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि लाखों लोगों की कहानियाँ हैं जो विस्थापन का दर्द झेल रहे हैं। अलावी समुदाय, जो राजनीतिक रूप से मजबूत था, उसे भी संघर्ष के बाद नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यह दिखाता है कि कैसे धार्मिक विविधता, जो एक देश की ताकत होती है, अस्थिरता के समय उसकी सबसे बड़ी कमजोरी भी बन सकती है। यह सब देखकर मैं बस यही प्रार्थना करता हूं कि सीरिया में शांति लौटे और सभी समुदाय फिर से एक साथ मिलकर अपने देश का निर्माण करें।

निष्कर्ष

दोस्तों, सीरिया की इस धार्मिक यात्रा को पूरा करते हुए मुझे महसूस होता है कि यह सिर्फ एक देश नहीं, बल्कि आस्थाओं का एक जीवंत संग्रहालय है। इसकी मिट्टी में सदियों की इबादतें, प्रार्थनाएं और संघर्षों की दास्तानें दफन हैं। मैंने अपनी आँखों से देखा है कि कैसे अलग-अलग धर्मों के लोग एक ही ज़मीन पर अपनी पहचान बनाए रखते हुए जिए हैं और कैसे वक्त के थपेड़ों ने इस तस्वीर को बदला है। मुझे उम्मीद है कि यह यात्रा आपको भी सीरिया की इस अनूठी पहचान को समझने में मदद करेगी, और आप भी मेरी तरह इसके समृद्ध इतिहास और वर्तमान की चुनौतियों पर विचार करेंगे।

जानने योग्य कुछ ख़ास बातें

1. सीरियाई सभ्यता का इतिहास हजारों साल पुराना है, और यहूदियों, ईसाइयों, और मुसलमानों के लिए एक पवित्र भूमि रहा है। यह अपनी बहु-धार्मिक विरासत के लिए जाना जाता है, जिसमें प्राचीन समय से ही कई धर्मों का संगम रहा है।

2. इस्लाम के आगमन से पहले, सीरिया ईसाई धर्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र था, जहाँ ईसाई समुदाय सदियों तक फला-फूला। दमिश्क जैसे शहर शुरुआती ईसाई धर्म के गढ़ थे।

3. सीरियाई गृहयुद्ध ने देश की धार्मिक जनसांख्यिकी को बहुत बदल दिया है। ईसाई और यहूदी जैसे अल्पसंख्यक समुदायों की आबादी में भारी गिरावट आई है, क्योंकि कई लोग सुरक्षा और बेहतर जीवन की तलाश में देश छोड़कर चले गए हैं।

4. सुन्नी मुस्लिम सीरिया में सबसे बड़ा धार्मिक समूह हैं, लेकिन अलावी जैसे शिया शाखाओं का भी राजनीतिक और सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण प्रभाव है, विशेषकर सत्तारूढ़ असद परिवार के कारण।

5. द्रुज समुदाय सीरिया का एक अनोखा एकेश्वरवादी पंथ है, जिसकी जड़ें इस्लाम में हैं लेकिन इनकी मान्यताएं और प्रथाएं बाकी इस्लामिक समुदायों से अलग हैं। वे मुख्य रूप से स्वैदा प्रांत में केंद्रित हैं और अपनी मजबूत सामाजिक एकजुटता के लिए जाने जाते हैं।

Advertisement

मुख्य बातें एक नज़र में

सीरिया, जिसकी ज़मीन पर अनेकों संस्कृतियां और आस्थाएं सदियों से पनपी हैं, आज भी अपनी धार्मिक विविधता के लिए जाना जाता है। मैंने देखा है कि कैसे यहाँ सुन्नी मुस्लिमों का एक विशाल बहुमत है, जो देश की सामाजिक और सांस्कृतिक ताना-बाना बुनते हैं। इसके साथ ही, अलावी समुदाय, अपनी विशिष्ट मान्यताओं और राजनीतिक प्रभाव के साथ, सीरिया के परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह जानकर मुझे हमेशा खुशी होती थी कि ईसाई समुदाय ने, विभिन्न संप्रदायों के साथ, इस भूमि पर अपनी गहरी जड़ें जमाई थीं, लेकिन हाल के संघर्षों ने उन्हें बुरी तरह प्रभावित किया है। द्रुज और बहुत छोटे यहूदी जैसे समुदायों की उपस्थिति इस देश को और भी अनूठा बनाती है। हालांकि, मेरा दिल दुख से भर जाता है जब मैं सोचता हूँ कि गृहयुद्ध ने कैसे इस धार्मिक सद्भाव को खंडित किया और समुदायों को विस्थापन का दर्द दिया। मेरा मानना है कि सीरिया का भविष्य तभी उज्ज्वल होगा जब उसकी यह बहु-धार्मिक पहचान फिर से सम्मान और शांति के साथ फल-फूलेगी, और सभी समुदाय एक साथ मिलकर अपने देश का पुनर्निर्माण करेंगे। यह सिर्फ धर्म की बात नहीं, बल्कि एक सभ्यता की आत्मा की बात है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) 📖

प्र: सीरिया में मुख्य रूप से कौन-कौन से धार्मिक समुदाय हैं और उनकी ऐतिहासिक जड़ें क्या हैं?

उ: अरे वाह! यह तो बहुत ही दिलचस्प सवाल है, और सच कहूँ तो सीरिया की धार्मिक बनावट किसी रंगीन चादर से कम नहीं है। मैंने जब इस पर गौर किया, तो पाया कि यहाँ कई समुदाय एक साथ रहते हैं। मुख्य रूप से, यहाँ सुन्नी मुसलमान बहुसंख्यक हैं, जो आबादी का लगभग 74% हिस्सा हैं। इसके अलावा, अलावित भी हैं, जो शिया इस्लाम की एक शाखा मानी जाती है। सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद का परिवार इसी समुदाय से था। शिया इस्लाम के अन्य समूह, जैसे इस्माइली भी यहाँ मिलते हैं।लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती!
सीरिया में ईसाई समुदाय की जड़ें तो इतनी गहरी हैं कि आप सोच भी नहीं सकते। यह तो ईसाइयत का पालना रहा है, जहाँ पहली सदी ईस्वी से ही ईसाई समुदाय मौजूद है। यहाँ ग्रीक ऑर्थोडॉक्स, सीरियाई ऑर्थोडॉक्स, मेलकाइट कैथोलिक और कई अन्य ईसाई संप्रदाय हैं। सोचिए, एक ज़माने में तो सीरिया ईसाई धर्म का गढ़ था!
इसके साथ ही, द्रुज़ भी एक अनूठा और विशिष्ट धार्मिक-जातीय समूह है जिसकी अपनी गहरी मान्यताएँ हैं। यह सब मिलकर सीरिया को धार्मिक विविधता का एक जीता-जागता उदाहरण बनाते हैं, जहाँ हर कोने में एक नई आस्था की कहानी बुनी हुई मिलती है।

प्र: सीरिया जो कभी ईसाई धर्म का गढ़ था, वह इस्लामिक बहुल देश कैसे बन गया?

उ: आपका यह सवाल मुझे हमेशा सोचने पर मजबूर करता है कि कैसे समय के साथ चीज़ें इतनी बदल जाती हैं! मेरा अपना अनुभव कहता है कि इतिहास की हवा कभी भी एक ओर नहीं बहती। सीरिया का इतिहास भी कुछ ऐसा ही है। जैसा कि मैंने पहले बताया, यह देश वाकई ईसाई धर्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र था, जहाँ ईसा मसीह के अनुयायियों की प्राचीनतम बस्तियाँ थीं। सेंट पॉल का दमिश्क में धर्मांतरण इसकी एक बड़ी मिसाल है। चौथी शताब्दी के अंत तक, यह रोमन साम्राज्य का एक ईसाई बहुल प्रांत बन चुका था।परिवर्तन की बयार 634 ईस्वी में बही, जब अरब मुसलमानों ने खलीफा हज़रत अबू बक्र और हज़रत खालिद बिन वालिद के नेतृत्व में सीरिया पर विजय प्राप्त की। यह सिर्फ एक सैन्य विजय नहीं थी, बल्कि एक बड़े सांस्कृतिक और धार्मिक बदलाव की शुरुआत थी। उमय्यद खलीफाओं ने दमिश्क को अपनी राजधानी बनाया, और धीरे-धीरे इस्लाम यहाँ का प्रमुख धर्म बन गया। सदियों के दौरान, मुस्लिम आबादी बढ़ती गई, और ईसाई समुदाय धीरे-धीरे अल्पसंख्यक होता चला गया। यह एक लंबा और जटिल बदलाव था, जिसमें कई सदियों का समय लगा, लेकिन आज हम देखते हैं कि सीरिया एक इस्लामी बहुल देश के रूप में जाना जाता है।

प्र: सीरिया के गृहयुद्ध ने वहाँ की धार्मिक विविधता पर क्या प्रभाव डाला है और अल्पसंख्यकों की स्थिति कैसी है?

उ: यह सवाल मेरे दिल के करीब है, क्योंकि जब मैंने सीरिया के हालात पर करीब से नज़र डाली, तो मेरा दिल दुख से भर गया। सीरियाई गृहयुद्ध, जो 2011 में शुरू हुआ, उसने न केवल लाखों जानें लीं, बल्कि इस खूबसूरत देश की धार्मिक विविधता को भी गहरी चोट पहुँचाई है। गृहयुद्ध से पहले, सीरियाई आबादी का लगभग 10-12% हिस्सा ईसाई था, लेकिन आज यह संख्या घटकर 2% से भी कम रह गई है।कई ईसाई और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों को भीषण उत्पीड़न, विस्थापन और पलायन का सामना करना पड़ा है। मैंने पढ़ा है कि अलेप्पो जैसे शहरों में, जहाँ कभी ईसाइयों की अच्छी खासी आबादी थी, वहाँ उनकी संख्या नाटकीय रूप से गिरी है। चर्च क्षतिग्रस्त हुए हैं और कई लोगों को अपने घर-बार छोड़कर भागना पड़ा है। सुन्नी और शिया समुदायों के बीच भी गहरे मतभेद और संघर्ष देखने को मिले हैं, खासकर असद के अलावित शासन के चलते, जिसने सांप्रदायिक तनाव को और भड़काया। द्रुज़ जैसे अनोखे समुदायों को भी इस अशांति में अनिश्चितता का सामना करना पड़ा है। यह सब देखकर लगता है कि गृहयुद्ध ने सीरिया की धार्मिक चादर को बुरी तरह फाड़ दिया है, और इसके घाव भरने में शायद सदियाँ लगेंगी।

📚 संदर्भ